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Nitu Rathore Rathore

Abstract

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Nitu Rathore Rathore

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नारी

नारी

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इज्ज़त नारी की सब राखिये नारी बिन सब सूने

नर चाहे ना वफ़ा करे पर सती-सावित्री को चुनें।


जानते है सब

नारी हमारे लिए अवतार तुल्य है।

बेचना,ख़रीदना, अस्मत लूटना

तूने ही दिए है उसे ये सब रूप ना

लगती थी तुझे देवी दुर्गा,लक्ष्मी और शारदा

फिर भी अपमान किया तूने इस रूप का।


जानता है तू

संसार इसी से चलता है

वंश इसी से बढ़ता है।

हर दुःख,अत्याचार सहती है नारी

इसलिए धरती माँ भी कहलाती है नारी।


नारी देवी समान अवतार तुल्य है

जीवन ऋणी, प्यार इसका अमूल्य है।

बेशक़ीमती हीरे-जवाहरात भी नही

"नीतू "इस धरा पर नारी समतुल्य है।


नारी शक्ति का वर्चस्व है

नारी ही सर्वस्त्र, अतुल्य है।


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