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Dr. Pooja Hemkumar Alapuria

Abstract Inspirational

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Dr. Pooja Hemkumar Alapuria

Abstract Inspirational

हाउस वाइफ

हाउस वाइफ

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कभी-कभी सोचती हूँ कि

मैं भी हाउस वाइफ होती

जिंदगी में भी कितनी सुकुनीयत होती  

मन मर्जी की रानी होती

किसी की हुकुमियत न बजानी होती

घर के हर कोने-कोने से वाकिफ़ होती

जल्दबाजी में छूट जाया करते हैं जो काम

जीवन की रंगीन फुरसत से

उन्हें भी कारगर कर लेती

बड़ी तरतीबी और करीने से होता

घर का हर एक एक सामान

शिकायत और उलफ़त का न मौका मिलता

जिंदगी बड़ी ही आरामदेह और खुशगुमान होती

कभी-कभी सोचती . . . .


फिर एक ख्याल और आया जेहन में

तब क्या मेरी अपनी पहचान होती

घर की चार दीवारों से निकल

क्या नया सोच पाती

आज जो नाम से ही करते है सलाम

क्या तब इस रुतबे की हकदार होती

देते हैं तवज्जोह जो आज मेरे अपने

क्या तब भी मेरी यह अहमियत होती,

कभी-कभी सोचती . . . .


बच्चों की इच्छाएं पूरी करने वाली और

ममता उड़ेलने वाली माँ से ज्यादा

क्या कभी कुछ बन पाती

कभी-कभी सोचती . . . .


आए दिन कसी जाती हैं फब्तियाँ

हाउस वाइफ के काम काज पर

 क्या मैं भी हाउस वाइफ बन

उन फब्तियों का शिकार हो जाती

कभी-कभी सोचती . . . .


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