Dr. Pooja Hemkumar Alapuria
Abstract
पत्ते टहनी
कुदाल फवड़ा से
सब बेकार।
दो टूक रोटी
गिलसिया पानी ते
किसान तृप्त।
मन मनाए
तन काटकर जो
जग हँसाए।
मनमोहक
भीनी भीनी माटी ये
बताए कौन।
झील नहर
नैन अटके बाबरे
व्याकुल मन।
हरियाली से
भया मन बाबरा
विचारे कौन।
बाहें फैलाए
खड़ी आँगन में माँ
हर्षित मन।
हाउस वाइफ
हमारी टीचर
हमारी हिंदी
दीप जलाएँ
यादों के बंद ...
ऐ सखी
पैगाम आएगा
गुफ़्तगू
नवयुग
मन
यह ज़िन्दगी इक सफ़र है, बस, मंज़िल भी हो, यह ज़रूरी तो नहीं।। यह ज़िन्दगी इक सफ़र है, बस, मंज़िल भी हो, यह ज़रूरी तो नहीं।।
हे स्त्री तुम मर्यादित रहना उच्चश्रंखल न होना। हे स्त्री तुम मर्यादित रहना उच्चश्रंखल न होना।
मुझे अंधेरे मे रहने दो मुझे उजाला नहीं चाहिए। मुझे अंधेरे मे रहने दो मुझे उजाला नहीं चाहिए।
तेरे नौ रूपों को हम इस दिल में बसाते हैं। जय जयति माँ काली तेरे गुण गाते हैं। तेरे नौ रूपों को हम इस दिल में बसाते हैं। जय जयति माँ काली तेरे गुण गाते हैं।
दिखने, दिखाने की जरूरत है, बस थोड़े संयम की ही जरूरत है। दिखने, दिखाने की जरूरत है, बस थोड़े संयम की ही जरूरत है।
पर कौन है सुनता इनका यह है आम नागरिक यार।। पर कौन है सुनता इनका यह है आम नागरिक यार।।
फिर एक ख्याल और आया जेहन में तब क्या मेरी अपनी पहचान होती फिर एक ख्याल और आया जेहन में तब क्या मेरी अपनी पहचान होती
कभी दूर तू न जाये तेरे ख्यालों के बिना जीना पड़े वो दिन कभी न आये। कभी दूर तू न जाये तेरे ख्यालों के बिना जीना पड़े वो दिन कभी न आये।
हर लम्हें गीतों से सजते, खुशबू ने जीवन महकाया। हर लम्हें गीतों से सजते, खुशबू ने जीवन महकाया।
मानव मन अवसाद से भर रहा एहसास मर रहे हैं हम कृतघ्न हो रहे हैं। मानव मन अवसाद से भर रहा एहसास मर रहे हैं हम कृतघ्न हो रहे हैं।
जा रही है जान हमने जाना बिना मास्क के घर से बाहर नहीं जाना। जा रही है जान हमने जाना बिना मास्क के घर से बाहर नहीं जाना।
संसार भर में मनुष्यता का नया वातावरण बन जायेगा। संसार भर में मनुष्यता का नया वातावरण बन जायेगा।
धरा पे जन्नत का गुलशन खिला दूँ। तुमको निहारूँ या रब को दुआ दूँ। धरा पे जन्नत का गुलशन खिला दूँ। तुमको निहारूँ या रब को दुआ दूँ।
शत - शत नमन वीणा वादिनी माँ उज्ज्वल स्वरूपा वर दायिनी माँ-२ शत - शत नमन वीणा वादिनी माँ उज्ज्वल स्वरूपा वर दायिनी माँ-२
जीवन के लिए बस यही मान पाये। जीवन के लिए बस यही मान पाये।
मैं वक्त से टिक-टिक करता हूँ। और वक्त मुझसे।। मैं वक्त से टिक-टिक करता हूँ। और वक्त मुझसे।।
ज़िंदगी में कई जिंदगी गुजरी है। तेरे बिन तो नहीं यह कभी गुजरी है। ज़िंदगी में कई जिंदगी गुजरी है। तेरे बिन तो नहीं यह कभी गुजरी है।
नमन शहीद जवानों को, गाथा उनके सम्मान की, नमन शहीद जवानों को, गाथा उनके सम्मान की,
माटी की मूरत नहीं, ममता की जरूरत हूं मैं घबराती नहीं, बस यूंही चुप रह जाती हूं मैं। माटी की मूरत नहीं, ममता की जरूरत हूं मैं घबराती नहीं, बस यूंही चुप रह जाती हू...
फूल सी सूरत होते हुवे भी सीरत और हरकत है कातिलाना। फूल सी सूरत होते हुवे भी सीरत और हरकत है कातिलाना।