STORYMIRROR

Dr. Pooja Hemkumar Alapuria

Abstract

3  

Dr. Pooja Hemkumar Alapuria

Abstract

मन

मन

1 min
160

पत्ते टहनी

कुदाल फवड़ा से

सब बेकार।


दो टूक रोटी

गिलसिया पानी ते

किसान तृप्त। 


मन मनाए

तन काटकर जो

जग हँसाए।


मनमोहक 

भीनी भीनी माटी ये

बताए कौन।


झील नहर

नैन अटके बाबरे 

व्याकुल मन।


हरियाली से

भया मन बाबरा

विचारे कौन।


बाहें फैलाए

खड़ी आँगन में माँ

हर्षित मन।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract