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Dr. Pooja Hemkumar Alapuria

Others

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Dr. Pooja Hemkumar Alapuria

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नवयुग

नवयुग

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बंधे पंखों में थी छटपटाहट

बिन पानी मछली सी 

थे अनगिनत स्वप्न भी

कुछ कर दिखाने के


थी ललक 

सीमाएँ और दायरों को लांघ

उम्मीद से बढ़कर  

कुछ कर गुजर जाने की


याद है बखूबी हमें

बंधे पंखों में भी 

कर दिया था साबित 

अपनी काबलियत और 

जज्बातों को


तब भी थी संसृप्ति  

चकित और विस्मित

हमारे कारनामों से


आया है अब समझ 

खुले विचारों वाली इस दुनिया को

खोल दिए ये पंख 

और तोड़ दिए सब बंधन


नव युग के प्रांगण में 

नव विचारों ने बदल दिया 

हमारे जीने का मकसद


बढा़ दिया उम्मीद 

और विश्वास का दायरा

दे दिया है खुली आँखों से 

स्वप्न संजोने का मन


सदी के नव आगमन ने 

कर हृदय परिवर्तन लोगों का

दिला दिया है समाज में 

वास्तविक हक।


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