चुप की जुबां चुप की जुबां
सम्मान मेरी तुम कब कर पाओगे। सम्मान मेरी तुम कब कर पाओगे।
तुम पर्वत से अड़े रहे अपने झूठे अभिमान में और मैं हवा सी कोमल उड़ती रही आसमान में तुम पर्वत से अड़े रहे अपने झूठे अभिमान में और मैं हवा सी कोमल उड़ती...
वह बस खेलता रहा खेल, जीतने की होड़ ने उसे, हैवान बना दिया। वह बस खेलता रहा खेल, जीतने की होड़ ने उसे, हैवान बना दिया।
अगर भगवान ना होते तो लोगों को अपना दायरा कैसे पता चलता। अगर भगवान ना होते तो लोगों को अपना दायरा कैसे पता चलता।
शायद तुम्हें अहसास नहीं है कि तुम सोचते बहुत हो। शायद तुम्हें अहसास नहीं है कि तुम सोचते बहुत हो।