कभी सोचता हूँ जो चुप हो गया तो, कौन मुझसे हाल-ऐ-ज़िन्दगी पूछेगा जो कह दूँगा मैं बात दिल की तो है, किस... कभी सोचता हूँ जो चुप हो गया तो, कौन मुझसे हाल-ऐ-ज़िन्दगी पूछेगा जो कह दूँगा मैं ब...
शायद खाने पर हैं गुस्सा, खाना ठीक नहीं बनता, या उनकी चाहत के जैसा,सुबह नाश्ता न मिलता। शायद खाने पर हैं गुस्सा, खाना ठीक नहीं बनता, या उनकी चाहत के जैसा,सुबह नाश्ता न ...
अपनी इच्छाओं के साथ कुछ साझेदारी। अपनी इच्छाओं के साथ कुछ साझेदारी।
मैं भी कुछ कहना चाहता हूँ मैं भी कुछ कहना चाहता हूँ
अब भी मुझे पराई कहना, छोड़ो तुम्हें सजाऊँगी। अब भी मुझे पराई कहना, छोड़ो तुम्हें सजाऊँगी।
उल्फत है हमें कहने देना। उल्फत है हमें कहने देना।