मैं भी कुछ कहना चाहता हूँ मैं भी कुछ कहना चाहता हूँ
मैं धरा पर कदम रखकर आकाश का हाथ पकड़ लेना चाहता हूँ मैं धरा पर कदम रखकर आकाश का हाथ पकड़ लेना चाहता हूँ
हादसों के बीच पला हूँ खुद के लिए ही बला हूँ नूर यूँ ही नहीं है चेह्रे पे हँस कर गम हादसों के बीच पला हूँ खुद के लिए ही बला हूँ नूर यूँ ही नहीं है चेह्रे ...
विपन्नता दूर हो, इसलिए जय समाजवाद कहता हूं विपन्नता दूर हो, इसलिए जय समाजवाद कहता हूं
कौन चाहता है घर से निकलना कौन चाहता है घर से निकलना
चाहता है मन मेरा चाहता है मन मेरा