बला हूँ
बला हूँ
हादसों के बीच पला हूँ
खुद के लिए ही बला हूँ
नूर यूँ ही नहीं है चेह्रे पे
हँस कर गमों को छला हूँ
मन्नतें कभी पूरी नहीं
दुआओं को भी खला हूँ
छाछ को फूँक कर पीता
यारों मैं दूध का जला हूँ
मंज़िल की है तलाश मुझे
अकेले ही सफर पे चला हूँ
हाँ,इक बुरी लत है मुझमें
चाहता सबका मैं भला हूँ ।
