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Husan Ara

Children Stories

4  

Husan Ara

Children Stories

चाहत

चाहत

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कितना कुछ कहना चाहता हूँ

फिर भी चुप रहना चाहता हूँ


कोई तो मिले जो अपना समझ सके

मैं भी किसी को अपना कहना चाहता हूँ


लोग समझाते फिरते हैं, कि पाँव ज़मीन पर रखना

पर मैं तो हवाओं संग बहना चाहता हूँ


मेरी बातों का तोड़ मोड़ कर मतलब ना निकालो

मैं साफ साफ कहता हूँ जो कहना चाहता हूँ


मैं मरना नही चाहता, डर लगता है

ना हमेशा यहाँ रहना चाहता हूँ


जाना कहीं नही , मंजिल पीछे छूट गई

रुकता नही मगर, चलते रहना चाहता हूँ


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