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Husan Ara

Tragedy

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Husan Ara

Tragedy

गैरमौजूदगी

गैरमौजूदगी

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अपने दिलों के बुग्ज का राज़ खुद खोलते हैं,

मेरे दोस्त मेरे दुश्मनों से जब हंसकर बोलते हैं।।


ये हुनर भी बेवफाई का, बड़े हुस्न वाला होता है,

सच की चाशनी में कुछ झूठ मिलाकर तोलते है।।


दिल दुख जाता है अक्सर इन बातों से मेरा ,

फिर वो बाते बना बनाकर मेरा दिल टटोलते है।।


दिलों में कुछ तो होगा , वैसे ज़बान बहुत मीठी है,

मैं सही हूं बतलाकर, जख्मों पर मरहम घोलते हैं।।


खुलकर मिलें तो शायद इतनी तकलीफ न पहुंचे,

ये फूल उनकी मुहब्बतो के मेरी गैरमौजूदगी में क्यों मौलते हैं??


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