ऐ दिल
ऐ दिल
किसी के सामने ऐ दिल, तू ख़ुद को ना झुकाया कर।
बहुत बेदर्द दुनिया है , इसे ना आज़माया कर।
ज़माने को कहें भी क्या, हम ही तो ज़माना हैं।
ज़माने के दुखों को बस, तू हंसकर भूल जाया कर।
सुने तू सबकी बातों को, यकीं करता है क्यों ऐ दिल।
मेरी सुन ले किसी से ना , तू उम्मीदें लगाया कर।
तुझे मायूस करने को , यहां हर शह अमादा है।
तू फिर भी खिलखिला कर, तू फिर भी मुस्कुराया कर।
गिले शिकवे हैं जिससे भी, कभी वो ख़ास थे तेरे।
तू उनकी बेवफ़ाई पर , ना यूं खुद को दुखाया कर।
कि रातों के अंधेरों में , ये तन्हाई तेरी ऐ दिल ।
पुरानी यादों की शम्मा, से ना ख़ुद को जलाया कर।