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Husan Ara

Abstract Tragedy

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Husan Ara

Abstract Tragedy

दो चेहरे

दो चेहरे

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यूं हर वक्त छोटी छोटी बातों पर गिला ना करो।

अगर हमसे दिल नही मिलता, तो बस मिला ना करो।।


जब दिल चाहा मिल लिए, जब दिल चाहा रूठ गए।

जब दिल मुरझाए हुए हैं, तो देखकर खिला ना करो।।


तुम्हारे लहजे और लफ्ज़ कई बार दिल चीर चुके हैं।

अब यूं झूठी मुस्कान से, जख्मों को सिला ना करो।।


हिम्मत जब कहने की रखते हो, तो सुनने की ताकत भी लाओ।

नुकीले भी होंगे और तेज़ भी, मेरे लफ्जों से फिर छिला ना करो।।


सामने कुछ और बनते हो, पीठ पीछे कुछ और हो।

हर वक्त ये दो चेहरों का बोझ लेकर चला ना करो ।।


हाथ मुझसे तभी मिलाना, अगर दिल भी मिलता हो।

इन कच्चे धागों से हमारे रिश्ते को सिला ना करो ।।


या तो दोस्ती ना करो, या तो गिला ना करो ।।

अगर हमसे दिल नहीं मिलता, तो बस मिला ना करो।।


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