STORYMIRROR

Husan Ara

Abstract Others

4  

Husan Ara

Abstract Others

लोग क्या कहेंगे

लोग क्या कहेंगे

1 min
294

तुम्हारी गलतियों का क्या, ये सब बोझ सहते हैं ।

तुम्हारी फिक्र बस ये है, अरे! क्या लोग कहते हैं।।


ज़माने भर को क्या तुमको, अभी अपना बनाना है।

कभी वो खुश भी होते हैं, कभी नाराज़ रहते हैं।।


गुज़र जाएगी सारी ज़िंदगी, सबको मनाने में ।

जो सबकी ना भी सोचे, तब भी घर आबाद रहते हैं।।


तुम्हें कब जगना है, सोना है, कब खाना, कमाना है।

ये सब जानने को, सब लोग क्यों बेताब रहते हैं।।


चढ़ाओ ना इन्हे सिर पर, तुम्हे कर देंगे ये पागल ।

तभी अक्सर अकल वाले, ज़रा ख़ामोश रहते हैं।।


ना मिलना चाहोगे तब भी, तुमको ढूंढ लेंगे ये ।

सोचना मत के क्या बोले, कि क्या ये लोग कहते हैं।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract