Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Veena Siddhesh

Abstract

4.5  

Veena Siddhesh

Abstract

2020

2020

2 mins
64


वो साल दो हज़ार बीस था

दिलों में उठती एक टीस था

सारा विश्व कर रहा हाहाकर था

अपना ही घर बन गया कारागार था


जीव जंतु विचरते स्वछंद थे

नर नारी सभी घरों में बंद थे 

प्रकृति के साथ व्यभिचारी

शायद मानव को पड़ गई थी भारी


मानव जाति का हो रहा विनाश था

काल कर रहा अट्टहास था

नित नए इलाज खोजे जा रहे थे

पर डॉक्टर वैज्ञानिक सब हार रहे थे


आई उस साल पूरब से ऐसी बीमारी

देखते ही देखते जो बन गई वैश्विक महामारी

बच्चे बूढ़े नर नारी थे सभी त्रस्त

पशु पक्षी स्वच्छ जल वायु पा हो रहे मस्त


कोशिश पर कोशिश करती जाती देशों की सरकारें

कुछ हल न निकले कितना ही माथा मारें

समाचार पढ़ सुन कर मन होता परेशान

आज इतने कल उतनो की गई जान


समय जैसे जम सा गया था

काम तो चल रहा था पर विकास थम गया था

फैक्ट्रियां बंद रोज़गार बंद

गरीब मज़दूर हाथ फैला रहा था रोटियों के लिए चंद


मायूसी सब तरफ पसरी पड़ी थी

बड़ी ही विकट समस्या की घड़ी थी

न दिन का पता चलता न तारीख का

सब दिन एक से लगते,


कोई तो फर्क बताए ज़रा बारीक सा

वो साल दो हज़ार बीस था

दिलों में उठती एक टीस था


Social networking' की जगह

'social distancing' ट्रेंड कर रहा था

अब तो जीवन mask, glove aur

sanitizer पर depend कर रहा था


जहां आम आदमी घर में छुपे थे

वहीं superhumans डॉक्टर, नर्स,

पुलिस, सफाईकर्मी,

डिलीवरी ब्वॉयज अपने कर्म में जुटे थे

बिना डरे, बिना रुके कर्त्तव्य पथ पर डटे थे


इस महामारी ने विभिन्न देशों का फर्क मिटा दिया था

क्यूं कि काल तो सबको बराबर मिटा रहा था

मानव पशुओं की भांति पिंजरे में कैद था

मरता क्या न करता,यमराज पहरे पर जो मुस्तैद था


हम भी उस महामारी के महावर्ष का हिस्सा बने

इतिहास में लिखा जानेवाला एक किस्सा बने

आने वाली पीढ़ियों को जब ये कहानी सुनाएंगे

इस अनहोनी को याद करके कुछ आंसू हम भी बहाएंगे

कि वो साल दो हज़ार बीस था दिलों में उठती एक टीस था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract