आत्म अनुभूति
आत्म अनुभूति
वक़्त नहीं जो गुज़र जाऊं मैं
नशा भी नहीं कि उतर जाऊं मैं
मैं वो ख़ुशबू हूं,जो रहती है इन फिज़ाओं में
मीठी आवाज़ हूं, बहती है जो सदाओं में
वजूद मेरा मिटाना चाहो तो मिटा न पाओगे
ख़ाक भी कर दो तो घुल जाऊंगी हवाओं में।
वक़्त नहीं जो गुज़र जाऊं मैं
नशा भी नहीं कि उतर जाऊं मैं
मैं वो ख़ुशबू हूं,जो रहती है इन फिज़ाओं में
मीठी आवाज़ हूं, बहती है जो सदाओं में
वजूद मेरा मिटाना चाहो तो मिटा न पाओगे
ख़ाक भी कर दो तो घुल जाऊंगी हवाओं में।