STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

अहमियत

अहमियत

1 min
350

समय की मार से

भला अब तक बचा कौन है,

ऐसे में अहमियत की अहमियत क्या है ?


स्वार्थ लोभ में पड़ा अब आदमी।

अपनों की कौन कहे

माँ बाप की अहमियत को भी

धक्का दे रहा है आदमी।


अपवादों की बात तो कीजिए मत

रिश्तों को भी अहमियत

अब कहाँ दे रहा है आदमी।


हर कदम पर स्वार्थी हम हो गए

लाभ हानि को देख अब

अहमियत देने लगा है आदमी।


आधुनिकता के रंग का बुखार इतना है,

अहमियत का ताप ठंडा हो गया है,

क्या कहें ? किसको कहें ? और क्यों कहें ?


अहमियत की चाल में उलझ

खुद मर गया है आदमी।

अहमियत की अहमियत भी

बची भला है अब कहाँ ?


खुद को भी अब अहमियत

भला देता कहाँ अब आदमी ? 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract