निभाना पड़ता है
निभाना पड़ता है
रिश्तों को निभाने की खातिर
बहुत कुछ निभाना पड़ता है
लाख जख्म हो सीने में
फिर भी मुस्कुराना पड़ता है।
जानकर भी सबकुछ कभी
अंजाना बन जाना पड़ता है
रिश्तों को निभाने की खातिर
बहुत कुछ निभाना पड़ता है।
अपनों की खुशियों की खातिर
कभी गूंगा-कभी बहरा
बन जाना पड़ता है
रिश्तों को निभाने की खातिर
बहुत कुछ निभाना पड़ता है।
कहीं भीग न जाए मेरा अपना कोई
मेरे आंसुओं की बारिश में
इसलिए आंसुओं को
आंखों में ही सुखाना पड़ता है
रिश्तों को निभाने की खातिर
बहुत कुछ निभाना पड़ता है।
कहीं बिखर न जाए मेरा अपना कोई
हार कर मुझसे
इसलिए कभी जीत कर भी
हार जाना पड़ता है
रिश्तों को निभाने की खातिर
बहुत कुछ निभाना पड़ता है।