शक्ति
शक्ति
भर के हुंकार तू
कर दे प्रहार तू
तीर बन तलवार बन
कर अन्याय पर वार तू
न अबला असहाय है
सह न अत्याचार तू
गर अधम जो नर बने
दुर्गा बन हुंकार भर
कर नीचता पे वार तू
कर पाप का संहार तू
नारी है तू शक्ति है
अब न मान हार तू
अब न मान हार तू
भर के हुंकार तू
कर दे प्रहार तू
तीर बन तलवार बन
कर अन्याय पर वार तू
न अबला असहाय है
सह न अत्याचार तू
गर अधम जो नर बने
दुर्गा बन हुंकार भर
कर नीचता पे वार तू
कर पाप का संहार तू
नारी है तू शक्ति है
अब न मान हार तू
अब न मान हार तू