फ़ुरसत
फ़ुरसत
एक मुद्दत से आरज़ू थी फुर्सत मिले
फुर्सत मिले तो कुछ मिलें चलो
फुर्सत मिली पर इजाज़त नहीं मिलने मिलाने की
ऐसा गर है तो ऐसा ही सही
अब फुर्सत मिली है तो चलो खुद से मिलो
कुछ अपनी कहो कुछ दिल की सुनो
कुछ लम्हे अपने लिए चुनो
सांस गहरी लो, आराम करो
कुछ भूले ख्वाबों की तामीर करो
हवाएं जो साफ बह रही हैं महसूस करो
क्या पता फिर ये मंज़र हो न हो
पंछी जो गा रहे हैं उन्हें ताल दो
अंगड़ाई लो मशक्कत टाल दो
एक तस्वीर जो अधूरी पड़ी है
रंगों में उसे ढाल दो
फुर्सत मिली है हुज़ूर किसी नियामत से कम नहीं
ये किसने कहा कि ज़माने में गम नहीं
गम औे तकलीफ पे कसीदे किसी और दिन पढ़ेंगे
आज फुर्सत मिली है तो खुल के हंसेगे और जिएंगे।