STORYMIRROR

मिली साहा

Abstract

4  

मिली साहा

Abstract

जन्मे कृष्ण मुरारी

जन्मे कृष्ण मुरारी

2 mins
671

छाई घनघोर घटा रात थी अंधियारी,

कारागार में जन्मे श्री कृष्ण मुरारी


लेते ही जन्म खुल गई बेड़ियां सारी

करने जग का उधार आए बनवारी


धन्य हो गए देवकी और वासुदेव

अब आ गई कंस के अंत की बारी


खुशियां आई देवकी और वासुदेव के जीवनमें

कंस के भय का अंत हो गया अब उनके मन में


खुल गई सारी बेरियां दरबान सो गए सारे

वासुदेव कृष्ण को लेकर गोकुल को पधारें


यमुना ने तब अपना प्रचंड रूप दिखलाया

चरण चूमते ही बनवारी के शांत रूप में आया


सर पर कान्हा को थामे वासुदेव ने कदम बढ़ाए

शेषनाग अपने फन से ढककर कान्हा को बचाएं 


वासुदेव जब पहुंचे गोकुल में संपूर्ण नगरी को सोता पाया

लेकर वासुदेव की बिटिया को वहां कान्हा को लिटाया


लौटकर आए वासुदेव मथुरा में वापस बेड़ियां हाथ में आई

होश आया दरबानों को जाकर कंस को सूचना पहुंचाई


सुनकर सारी बातें दरबानों की कंस दौड़ा दौड़ा आय

वो जैसे ही लगा मारने जैसे ही देवी ने माया रचाया


बोली देवी तू मूर्ख है जो मुझको मारने आया

वो पहुंच चुका है गोकुल जो तेरा काल बनकर आया


सुनकर वाणी देवी की कंस मन ही मन घबराया

कहां है उसका काल जानने को सैनिक उसने भिजवाया


उधर गोकुल में नंदयशोदा के घर खुशियों की बेला आई,

कान्हा के आने से समस्त गोकुल नगरी थी मुस्काई


कान्हा के जन्म का सब ने मिलकर जश्न मनाया

करने सृष्टि का उद्धार कृष्णा इस जगत में आया


दर्शन करने को प्रभु के आए सब बारी-बारी

अत्याचार का अंत करने को जन्मे कृष्ण मुरारी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract