Veena Siddhesh

Abstract

4.5  

Veena Siddhesh

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बेमतलब

बेमतलब

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कुछ बातें बेमतलब ही रहने दो

हर बात का मतलब होना ज़रूरी तो नहीं


कभी ज़िन्दगी का दरिया बस यूं ही बहने दो

मंजिलें हर राह की हों,ये ज़रूरी तो नहीं


अनकहे खामोश मंज़र निगाहों में जज़्ब कर लूं मैं

बस इतना सा सुकूं चाहिए, ये तो कहने दो


कुछ बातें बेमतलब ही रहने दो।


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