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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

गम बांटें और प्यार लुटाएं

गम बांटें और प्यार लुटाएं

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चाहते हैं जैसा ही हम अपने लिए संसार,

सबके संग तैयार करें मिल वैसा ही आधार,

दें सबको चाहें वही जो खुद के संग व्यवहार।

इच्छा पूरी हो पाएगी मित्रों तब ही तो आपकी,

वरना बस रह जाएगी ये कल्पना ही आपकी।


हम सुखद जहां हित सुखद वातावरण बनाएं

हर पथ के शूल हटाकर सुगम सबके हेतु बनाएं

बगिया हर हरी बनाकर सुमनों की सुरभि फैलाएं,

सोचा है जो शुभ आगे बढ़ो जरूरत न इंतजार की।

इच्छा पूरी हो पाएगी मित्रों तब ही तो आपकी,

वरना रह बस जाएगी ये कल्पना ही आपकी।


दूजों के ग़म बांटने से अहसास उनका तो घट जाता है,

निज ख़ुशियों को बांटने से आनंद कई गुना बढ़ जाता है,

अकेले में गम काटे न कटे- सुख आनंद भी न दे पाता है,

सुख आप लें गम बांटकर सब संग सुख कर अहसास की।

इच्छा पूरी हो पाएगी मित्रों तब ही तो आपकी,

वरना रह बस जाएगी ये कल्पना ही आपकी।


धर्मराज निज श्वान के बिन तो अकेले कभी स्वर्ग में भी न जाएं,

सुदामा-भार्या सब घरों के बाद ही निज कुटिया प्रसाद बनवाएं,

सुग्रीव और विभीषण को राज देकर के ही सुख प्रभु श्रीराम पाएं,

चुटकी में गम गायब होंगे और कई गुना हो जाएंगी ख़ुशियाँ आपकी।

इच्छा पूरी हो पाएगी मित्रों तब ही तो आपकी,

वरना रह बस जाएगी ये कल्पना ही आपकी।


केवल अपने लिए चाह कर सुख सुखी कैसे हम रह पाएंगे?

सब जब होंगे सुखी तब हम भी जाकर हर कहीं सुख पाएंगे,

पड़ोसी हमारा गर होगा दुखी तो कैसे हम दुख से बच जाएंगे?

हालत-संस्कृति सम होने पर होगी कदर आपस के जज्बात की।

इच्छा पूरी हो पाएगी मित्रों तब ही तो आपकी,

वरना रह बस जाएगी ये कल्पना ही आपकी।


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