कि खुशियाँ ही मिलें, सबको मेरी वजह से, कि खुशियाँ ही मिलें, सबको मेरी वजह से,
वहीं से तो होती है वसुधैव कुटुम्बकम की शुरुआत नई। वहीं से तो होती है वसुधैव कुटुम्बकम की शुरुआत नई।
ये दुनिया कितनी दुखी है पर लगती क्यों सुखी है ! ये दुनिया कितनी दुखी है पर लगती क्यों सुखी है !
वह मेरी माँ है, उस अमित प्रेमिल नदी की धार मैं हूँ। वह मेरी माँ है, उस अमित प्रेमिल नदी की धार मैं हूँ।
रिश्तों में मधुरता बनी रहे इसके लिए आवश्यक है दोनों साथ मिलकर हँसे लेकिन एक दूसरे पर नहीं साथ में ... रिश्तों में मधुरता बनी रहे इसके लिए आवश्यक है दोनों साथ मिलकर हँसे लेकिन एक दूस...
लोग पैसे का सम्मान करते हैं व्यक्ति का नहीं। लोग पैसे का सम्मान करते हैं व्यक्ति का नहीं।