STORYMIRROR

अच्युतं केशवं

Abstract

2  

अच्युतं केशवं

Abstract

वह मेरी माँ है

वह मेरी माँ है

1 min
118

है वही मृदु सिन्धु निज उर में समेटे

जो अटल आशीष दे विधिलेख मैटे


है उसी का ऋण कभी जो चुक नहीं सकता

वह दुखी होगी अगर सुख रुक नहीं सकता.


वह मेरी माँ है,

उस अमित प्रेमिल नदी की धार मैं हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract