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naveen patidar

Abstract

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naveen patidar

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है नारी जीवन तेरा कर्जदार है

है नारी जीवन तेरा कर्जदार है

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है नारी तेरा मुझ पर अधिकार है,

मेरा जीवन तेरा कर्जदार है


मां बनकर तूने जनम दिया, ममता से मुझे दुलारा है

रोज आंसू पी पीकर, विरहन से मुझे संवारा है


फिर तू आई नानी बनकर मेरे होंठो की हर हंसी को 

अपने अश्कों से सींचने कभी कोई आंच नहीं आने दी

मां की याद नहीं आने दी


फिर आई मामी बनकर, मुझे मां से बढ़कर पाला

कितना था कामचोर मैं, पर कभी नहीं मारा ताना,


फिर जब आया सुमधुर यौवन, बिखरा अकेला सा जीवन

तब तुम आई प्रेमिका बनकर, किया मुझपर सर्वस्व अर्पण

कल की चिंता बिन इतना निश्छल-अगाध प्रेम दिया,

लोक लाज की परवाह बिन सबकुछ मूझपर वार दिया


है नारी..

मैंने मद में तुझे नकारा है, तेरे हर रूप ने मुझे संवारा है

हो चाहे मुझमें लाख खामियां, कहा जैसा भी है हमारा है


है नारी फिर उपकार करना, बनकर आना जीवनसंगिनी

मेरे सुख में भागीदार बनने, दुःख में मेरा राजदार बनने


फिर आना बेटी बनकर, मेरा खाली दामन भर जाना

मेरे आंगन को अपना घर, जीवन को बसन्त कर जाना।


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