सितारों को फिर से लिखें...
सितारों को फिर से लिखें...
वो एक ही सांस में था जब मेरा
दिल चिल्लाने को तरसता,
थी जब अकेली रात की खूबसूरती में
सितारों के साथ मैं अकेली चल पड़ी,
जब पता चला कि कितनी बंधी हुई मेरी आजादी,
अनसुनी आवाज़ भी मुस्कुरा दी,
उस एक सेकेंड में हर चीज़ बन गई यादगार,
जब तेरा आलिंगन बन गया कारागार,
जब भाग्य ने तुझे मेरी तकदीर बनने से रोका,
जब दरवाज़े थे तो मैं चल न सकी,
उस लम्हे में जब मैं बेवफ़ा अज्ञात पथिक बन गई,
जब रहस्यमयी हवा ने
बजरी के नीचे से सफ़दे रेत छीन ली,
जब रात के सन्नाटे ने सुकून भेजा,
जब ब्रह्माड को उस परास्त
पीडित आत्मा से प्यार हो गया,
उसी एक सांस में मैंने फुसफुसाया,
काश मैं सितारों को फिर लिख पाती।