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सोनी गुप्ता

Abstract

4.8  

सोनी गुप्ता

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मेरी कलम का सफर

मेरी कलम का सफर

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मेरी कलम का सफर है बड़ा सुहाना, 

जब लिखने बैठती लगता भावों का आना जाना, 

मन में आए शब्दों को झट से पिरो देता, 

कभी-कभी मेरे भावों को बुन लेता, 

शब्दों से छंदों को बनाता चलता है, 

मेरी कविता को अलंकारों से सजाता है, 

मेरी कलम का सफर है बड़ा सुहाना ,

जब लिखने बैठती लगता भावों का आना जाना, 


जब भी मन मेरा विचलित होता है ,

तुम हमेशा पास मेरे होते हो, 

दूर जाने का ख्याल में तुमसे कभी सोचना पाती हूं, 

समय मिले या ना मिले तुमसे जरूर मिलती हूँ, 

तुम मेरी साथी तुम मेरी संगी तुम मेरी आत्मा हो,

तुम बिन लगता जैसे सब कुछ सूना सूना है, 

तुम होते तो अपनेपन का एहसास होता है, 

तुम चलती जब कोरे कागज पर वो समय खास होता है, 

मेरी कलम का सफर है बड़ा सुहाना ,

जब लिखने बैठती लगता भावों का आना जाना।



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