क्या कभी सोचा है??
क्या कभी सोचा है??
रात के अंधेरे में,
सितारों और चांद के सिवाय,
कोई और भी चमकता है।
हरी भरी घासों में,
टूटे विरान खंडरो में,
वो भी रहता है।
रात को वो भी सुनता है,
पर कौन है वो,
क्या कभी सोचा है?
हरियाली के साथ,
वो भी खुद को हरा दिखाता है।
तो सरसों के खेत में,
खुद को पीले रंग में रंगता है।
बिना किसी आवाज के,
पंख उठा के उड़ता है।
ठंड को वो भी महसूस करता है।
पर कौन है वो,
क्या कभी सोचा है?
सदियों पहले वो रात के अंधेरे में,
दीये सा चमकता था,
पर आज तो वो खुद चमकने के लिए,
अंधेरे को खोजता है।
भूल गये हैं लोग उसको,
की है एक प्राणी जुगनू नाम का।
पर उस छोटी सी जान के बारे में,
क्या कभी सोचा है?
