सपना सा लगा...
सपना सा लगा...


बारिश में भीगी हुई रात और
यू तारों का बादलों की खिड़कियों से झाकना,
कभी सोचा न था,
पर आज जब देखा तो सपना सा लगा।
झिंगुर के संगीत
और रेलगाडी की धुन का मिलना,
कभी सोचा न था,
पर आज जब सुना तो सपना सा लगा।
आधे छिपे हुए चांद को नारंगी रंग में,
काले बादलों संग लिपटा हुआ कभी देखा न था
पर आज जब देखा तो सपना सा लगा।
बादलों के टकराने की झंकार पर ,
हवाओं के साथ नाचते हुए
कभी खुद को इतना खुश देखा न था
पर आज जब देखा तो सपना सा लगा।
सपने हकीकत बने ये नसीब है,
पर तकदीर इस जन्नत से मिलवाएगी,
कभी सोचा न था ,
पर आज जब यह हुआ तो ये सपना सा लगा।