हे वर्ष पुराने..
हे वर्ष पुराने..
हे वर्ष पुराने! जाओ तुम!
यह विदा गीत हम गाते हैं..
जीवन है आना-जाना,
कुछ खोते हैं कुछ पाते हैं!
कुछ दुख भी हमने पाए हैं,
कुछ खोया है अपनों को भी..
कुछ ख्वाब तो पीछे छूट गए,
पर पाया कुछ सपनों को भी..
तुमसे तो इतना कहना है..
तुम यादों में भी मत आना..
जो देखेगा वह कोसेगा,
इसलिए कहीं छिप गुम जाना..
पर सच है ये कुछ चीजों का,
एहसास तुम्ही से जाना है..
अपनेपन के जो रिश्ते हैं,
हमने उनको पहचाना है!