काश...
काश...
काश! इस वर्ष ना कोई,
सिसके अकेले में कहीं!
काश! इस वर्ष दोस्तों के
संग दुख बांटे सभी!
काश! हम सहला सकें,
सिर उनका जो बीमार हैं,
काश! आत्मीयता से गले,
लग सके जो यार हैं!
काश! हर पल मौत का,
डर ना सताए अब हमें,
काश! बिगड़ी जिंदगी फिर,
लौटकर ढर्रे पर आए!
काश! मिलकर रो सकें,
अपनों के जाने के बाद,
संस्कार पूरे कर सकें,
करें बिना पछतावे के याद!
काश! बच्चे खिलखिलाएं,
खेलें गली में बिंदास,
ना डरे हर शख्स हरदम,
फैले आशा की उजास!
काश! सब मानें नियम,
और कायदा रहने लगे,
है बड़ी सुंदर ये दुनिया,
लोग फिर कहने लगें!
बाईस के 2-2 बताते,
जिंदगी है दूसरी,
बच गए के माने इतना,
सावधानी रखो पूरी!
काश! रिश्तों के नर्म से,
फूल फिर खिलने लगें,
काश! ना रोके कोई अब,
लोग फिर मिलने लगें!
काश! मरना ना हो सस्ता,
हमसे फिर ना चूक हो,
मर गया है कोई'
कह कर
फिर हमें ना भूख हो!
काश! अंतिम यात्रा में,
साथ हम भी जा सकें,
काश! वादा दोस्तों से,
अंत तक निभा सकें!
मेरे मामा की, चाचा की,
भैया की शादी में
जलूल-जलूल आना..
फिर से यह न्योता मिले
#वायरस की ऐसी तैसी
कब्र में सोता मिले!!