क्या इतना ही आजादी है..
क्या इतना ही आजादी है..
अंग्रेज प्रयाण हुआ हिंद से क्या इतना ही आजादी है..
पा तो गए हम आजादी पर आजादी का अर्थ है क्या?
उपहास करें नित गुरूजन का,
विद्या का मोल न जाने हम,
कोई राह सही समझाए अगर,
तो झट कह दें-आजाद हैं हम!
निज भाषा हम को बुरी लगे..
निज संस्कृति से अब नेह नही,
अपनी माटी ही बुरी लगे,
संबंधों में स्नेह नहीं! तन भी गुलाम, मन भी गुलाम!
और कहते हैं-आजाद हैं हम!
अंग्रेज चले गए भारत से..
अंग्रेजी अभी बाकी है! अंग्रेज अगर तब राजा थे..
अंग्रेजी अब महारानी है!
तब भी गुलाम, अब भी गुलाम,
और कहते हैं-आजाद है हम!
अंग्रेज प्रयाण हुआ हिंद से..
क्या इतना ही आजादी है?
आओ सोचे..
आजादी क्या!
आओ समझे..
आजादी क्या!
आजादी है..
एक कुसुम सुखद!
इसको मुरझाने मत देना..
आजादी है निज मित्र सुह्रद!
इस पर सर्वस्व लुटा देना..
आजादी जननी है अपनी!
हमें इसकी आन बचाना है..
आजाद हुए हैं वर्षों में, हम खून बहाकर वीरों का,
अब फिर जो गुलाम हुए तो..
आजादी बस स्वप्न सुहाना है!
तन से जो आजाद हुए हैं तो क्या,
अभी मन को आजाद कराना है..
अभी ध्येय तो अपना अधूरा है..
हमको आजादी पाना है!
सच्ची आजादी पाना है!