हर पल सुना-सुना सा होने लगा।।
हर पल सुना-सुना सा होने लगा।।
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हर पल सूना-सूना सा होने लगा।
शायद मुझे अपनीी गलती का एहसास होने लगा।
कितना लंबा समय बीत चुका था उसको देखेंं बीना।
कहीं ना कहीं मैं भी तनहाई मैं डूबे जाा रही थी उसके बिना।
अब भी वही दर्द मुझे अपने सीने में हो रहा था।
जो आज मुझे उसकी आंखों मे दिख रहा था।
पर..... दोबारा एक होनेे की हिम्मत नहींं थी।
क्योंकि जैसे वो मेरे लिए, और मैं उसके लिए, पहले थी
वैसे अब, वो मेरे लिए और मैं उसके लिए नहीं थी।