कुछ दोस्त
कुछ दोस्त
मैं यादों का किस्सा खोलो तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
मैं गुजरे पलों को सोचूं तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
ना जानेेे कौन सी नगरी मैं बस गए हैं जाकर
ना जानेेेे कौन सी नगरी मेंं बस गए हैं जाकर
मैं देर रात तक जागू तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
कुछ बातें थी फूलों जैसी
कुछ पल थे खुशबू जैसे
मैं शहर ए चमन मैं टहलू तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
धीरे धीरे उम्रर कट जाती है
जिंदगी यादों की लहर बन जाती है
कभी किसी कि याद बहुत तड़पाती है
तो कभी यादों के सहारे जिंदगी गुजर जाती है
सबकी जिंदगी बदल गई
एक नए सांचे में ढल गई
किसी को पढ़ाई से फुर्सत नहीं
तो किसी को दोस्तों की जरूरत नहीं
सारे यार गुम हो गए
तू से तुम और आप हो गए
मैं गुसरे पलों को सोचूं तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
पल भर में गुस्सा हो जाना
और पल भर में ही मान जाना
अब मैं जो खुद से भी रूठू तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
सच में कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।