मुंह फेर कर गया !
मुंह फेर कर गया !
आँखें तरेर कर गया , वह मुंह फेर कर गया ,
यूं जिंदगी के शेर को , बेटा वह ढेर कर गया ।
रात भर खांसती रही माँ , दालान में पड़ी रही ,
चढ़ता हुआ सूरज , सब कुछ अंधेर कर गया ।
बाप के लिए वक्त , बचता ही नहीं आजकल,
समझने में उसे वक्त से, मैं शायद देर कर गया ।
अर्थी फूलों से लदी , जनाजा भी आबाद था ,
मरा नहीं मारा गया वह,यह मौन टेर कर गया ।
औलाद से अपनी प्यार बहुत , है मेरी औलाद को,
हिस्सा मेरा ही कोई , बताओ क्यों सकेर गया ।
सुख के 'बादल' सूख कर , बस झुर्रियां देते गए ,
हां ,मजबूरियां मेरी तरफ , हर कोई हेर कर गया ।