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Neerja Sharma

Abstract

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Neerja Sharma

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मूक प्यार

मूक प्यार

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प्यार एक एहसास

जो केवल ..

महसूस किया जा सकता।


स्वार्थ ,धन- दौलत 

इनसे ऊपर...

होता है सच्चा प्यार।


सबसे पवित्र

शायद..

होता है मूक प्यार ।


मन से मन का मिलन 

बीच में......

नहीं होता कोई प्यार।


ऊँच -नीच दिखावा 

नहीं देखता 

सच्चा प्यार करने वाला।


मानव का स्वार्थ

नहीं मिलता ...

निस्वार्थ प्रेम का आभास।


आज भी 

मिलता है केवल 

मूक प्राणियों में प्यार।


कुत्ते बिल्ली में 

दुश्मनी नहीं 

मिल जाता है प्यार ।


शेर का बच्चा 

पल जाता है 

शाकाहारियों के साथ । 


कुदरत का करिश्मा 

यही होता है 

मूक प्यार ।


इंसान से ज्यादा 

इंसान का 

वफादार होता है कुत्ता।


प्यार की भाषा 

अधिक समझते 

मूक जानवर मानव से ।


जानवरों में 

नहीं होता 

प्यार के लिए छल कपट।


मूक भाषा 

करते एक दूजे से 

बस निस्वार्थ प्रेम।



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