प्रवंचना
प्रवंचना
धारा के विरुद्ध
चलते चलते
जब वो पहुंचा
धारा के उद्गम बिंदु पर
तो कहने लगा
कितना सहज है
धारा की तरह बहना
वो भी अपनी निर्धारित
मन्जिल की ओर।
कितना आनन्ददायक होता है
धारा के विपरीत चलना।
यकीनन ये भी एक तरह से
बहना ही होता है।
बिडम्बना ही है कि
बहना था इधर
बहने लगे उधर
हासिल करनी थी
कामयाबी
सो कामयाबी मिली
अपने स्व की कीमत पर
जो धारा के विपरीत
चलने से मिलती है।
बहना ठीक था
लेकिन विश्वास बहाना
आपस का प्रेम बहाना
अपनी सभ्यता बहाना
बहना नहीं डूबना है।
धारा के विपरीत बहने वाले ने कहा
हमने देखा है
डूबे डूबे ही
अंकुरित होना
बढ़ना
और छाया देना।
