STORYMIRROR

Sunil Kumar

Abstract

3  

Sunil Kumar

Abstract

आंसू

आंसू

1 min
11.6K

आंसू खुशी के हों या गम के

आंखों से छलक जाते हैं

कुछ कहे बिना ही

बहुत कुछ कह जाते हैं।


आंसुओं की भी होती है अपनी भाषा

इनके हर बूंद की होती है एक परिभाषा

आंसुओं के हर बूंद में छिपी होती है

किसी की बेबसी किसी की निराशा


पर हर कोई नहीं समझ सकता

इन आंसुओं की भाषा।

जज्बात जो हम दिल में छुपाते हैं

ये आंसू अक्सर बयां कर जाते हैं


ये आंसू जो खुशी में मुस्कुराते हैं

गम में दामन भिगो जाते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract