मुझे अब भी सब कुछ याद है।
मुझे अब भी सब कुछ याद है।
दुनिया में कुछ लोगों का
एक अलग ही प्रभाव है,
मित्रता के रूप में देखा
मैंने कुछ क्रूर स्वभाव है,
जो बैठक खुशियों के बीच
लिए मन में अवसाद है,
मैं भूला नहीं हूं कुछ भी
मुझे अब भी सब कुछ याद है।
जिन नजरों से बचना
मुनासिब नहीं हुआ
उन नजरों का भी
एक अलग अंदाज है,
अंधकार में खोते सपनों का
कुछ बहका हुआ राज है,
जो लहू आत्मा से बहता
जिसका देह बेबुनियाद है,
मैं भूला नहीं हूं कुछ भी
मुझे अब भी सब कुछ याद है।
यह रहा है मुझसे पूछे
तेरे पैरों का क्या हाल है,
जो ऊपर से भी लाल है
और नीचे से भी लाल है,
मैं जानता हूं राहों का यह अजीब सवाल है,
पैरों की दुर्गति का कारण
करना पूरी दूजों की मुराद है,
मैं भूला नहीं हूं कुछ भी
मुझे अब भी सब कुछ याद है।
