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Akshat Garhwal

Others

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Akshat Garhwal

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मानो या ना मानो।

मानो या ना मानो।

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मानो या ना मानो पर

यह दुनिया वीरान है

जो जितना सीधा होता है

उतना ही परेशान है।


जिन पर हम विश्वास करते

जिन से उम्मीद पूरी है

अक्सर मुॅंह पर राम वो रखते

असल बगल में छुरी है

यहां पत्थर आज भी जिंदा लगते

और जिन्दों का शमशान है

मानो या ना मानो

यह दुनिया ही वीरान है।


जिनके इरादे सही होते

अक्सर मिलती उनको जेल है

ना ईमान की कोई कीमत

सब धोखे का मेल है

अक्सर मदद ना कोई करता

खाली हाथ दिखाए अनजान है

मानो या ना मानो पर

यह दुनिया ही वीरान है।


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