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Akshat Garhwal

Abstract

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Akshat Garhwal

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खेल बना दिया

खेल बना दिया

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किस्मत की डोरी बांध बांधकर

जीवन को जेल बना दिया

दिखा दिखा के मीठे सपने

कठपुतली का खेल बना दिया।


ताकत के दम नेताओं ने

सब कुछ मिट्टी में मिला दिया

जिस जनता की सेवा करनी थी

उसको ही सेवक बना दिया


सब लालच का काम है यारों

मजबूरी को डोर बना दिया

दिखा दिखा कर मीठे सपने

कठपुतली का खेल बना दिया।


हम सब ईश्वर के खिलौने हैं

हम सबको प्रमोदक बना दिया

खेल खेल में हम सबको

सबक जीवन का भी सिखा दिया


सब कर्मों का काम है यारों

जीवन को काबिल बना दिया

दिखा दिखा कर मीठे सपने

कठपुतली का खेल बना दिया।


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