Akshat Garhwal
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लूटा ना जाने किस-किस को
कैसे यह एक एक कौड़ी कमाई है,
लौटा दे यह लालच का पैसा
इसी में तेरी भलाई है।
तुम्हारी नादानियां देख
इस बात का मुझको खेद है,
कितना भी संभाल लो अपना पैसा
क्योंकि फटी तुम्हारी जेब है।
फटी तुम्हारी ...
मानो या ना मा...
उड़ान है।
नहीं है।
इसलिए लड़के रो...
ज़रूरत नहीं ह...
श्राद्ध होगा....
खेल बना दिया
पराई हूं।
शक करते हो ?