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Anjana Singh (Anju)

Abstract

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Anjana Singh (Anju)

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यादों का सिलसिला

यादों का सिलसिला

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वक्त सिमटता जाता है

यादें धूमिल हो जाती हैं

शन्नै शन्नै पुरानी यादें

रिसती चली जाती हैं


कभी ये गुदगुदाती हैं 

कभी ये मुस्कुराती हैं 

वक्त की परत दर परत को

चीरती चली जाती हैं यादें


पानी के बुलबुलों की तरह 

कभी उमड़ती है यादें

दिल में फूलों के कोंपलों सी

फूटती हैं यादें


कभी मनोरम फसलों सी

लहलहाती है यादें

कभी रिश्तों की उधेड़बुन में

दरकती जाती हैं यादें


कहीं आंखों में झिलमिल

 रौशनी सी चमकती है

कभी आंखों में पानी बन

 बरस जाती है यादें


कभी मन में कड़वाहट

 सी भर देती हैं यादें

कभी दिल के तहखाने में 

घुटकर जीती है यादें


ढीठ ज़िद्दी सी होती है

कभी लाइलाज सी होती है

कभी छटपटाहट से भरी होती है

कभी सनकी सी होती हैं यादें


कभी सांसों में रमती

कभी धड़कनों के साथ चलती

जब तक है जीवन

 साथ रहती है यादें



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