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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Inspirational

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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Inspirational

नारंगी रंग शब्द की सीमा

नारंगी रंग शब्द की सीमा

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जो मैं सोचता हूं

तुम्हारे बारे में

जो मैं अनुभव

कर पाता हूं

अपने प्यार के बारे में

वो बता नही पाता हूं


उसे जिससे मैं

बेहद प्यार करता हूं

उसे जिसे मैं बेहद चाहता हूं

उसे जता नहीं पाता हूं

और जताने की कोशिश

करता हूं तो

खुद को हीं अधूरेपन का

अहसास होता हैं


तो क्या मेरे पास

शब्दशक्ति की कमी है

या फिर शब्दो की 

अपनी एक सीमा हैं

क्योंकि अपने प्यार की

असीमित गहराइयों के

भीतर से निकली

अनुभूतियां

को शब्दो को

जोड़कर

वाक्य बनाना


फिर भी

उस अनुभूतियों को 

पूर्ण परिभाषित

नहीं कर पाना

और एक असफल

कोशिश करना 

इसके बाद भी

इस वाक्य से

निकले अर्थ से

खुद को हीं संतुष्ट

नहीं कर पाना


क्या दर्शाता है

या तो मेरे पास

शब्द का अभाव है

या फिर शब्दों की

हैसियत हीं नहीं है।


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