फिर भी रखना होगा ज़मीन पे ही अपने पाँव। फिर भी रखना होगा ज़मीन पे ही अपने पाँव।
न कोई झगड़ा, न तकरार, वसुधैव कुटुम्बकम का हकदार। न कोई झगड़ा, न तकरार, वसुधैव कुटुम्बकम का हकदार।
हमारी जिज्ञासा आयेगी हमारे संसार में आकाश में उड़ते हुये शब्दों के साथ। हमारी जिज्ञासा आयेगी हमारे संसार में आकाश में उड़ते हुये शब्दों के साथ।
तुम्हारी आवाज़ है यह लेकिन मैं पहचान नहीं पा रही सुनाई नहीं दी है न तुम्हारी आवाज़ तुम्हारी आवाज़ है यह लेकिन मैं पहचान नहीं पा रही सुनाई नहीं दी है न तुम्...
जैसे नाव बिना माँझी के किसी निर्जन द्वीप में। जैसे नाव बिना माँझी के किसी निर्जन द्वीप में।
हम हैं खुश अपने जंगलीपन में ही जानते नहीं क्या तुम हम हैं खुश अपने जंगलीपन में ही जानते नहीं क्या तुम