हमें हमारा जंगल वापस दे दो
हमें हमारा जंगल वापस दे दो
मत छीनो हमारे खेतों की हरियाली
बीजों का निर्दोषपन,
माटी कारी - कारी
हमारे खेत में दो उगने
मकई, मड़ुआ, जौ, कंदा,
राई , केतारी, बेर - झाड़ी
नहीं चाहिए हमें
उगते हुए बिल्डिंगों का वन उपवन
कल - कारखाने
मशीन सयाने-सयाने
हम हैं खुश अपने जंगलीपन में ही
जानते नहीं क्या तुम
हमारे ये जंगल - खेत सदा
रखते हरा हमारा मन- आँगन
जंगल का हरापन
चट्टान का कड़ापन कब
हमें अभाव महसूसने देता है
तुम क्या दोगे
वो जो देता है
कुछ देना चाहते हो
सच में देना चाहते तो
हमें हमारा खेत-पठार
औ जंगल
वापस दे दो
वैसे ही साबुत का साबुत।
