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anita rashmi

Fantasy

4  

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सूर्य और उसकी रश्मियाँ

सूर्य और उसकी रश्मियाँ

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थका-हारा सूर्य 

शाम ढले तब 

लगता है खुद को कोसने 

जन्म-जन्मांतर की 

साथिन रश्मियाँ जब 

बाल अरूण सा 

उसे कर के रक्ताभ

अँधेरे की गुफा में होने कैद 

चुपके -चुपके भाग जाती हैं 


रात्रि के निविड़ अँधकार में 

शांति से चुपचाप 

दुबकी पड़ी रहती हैं 

पुनः मिलने को आतुर 

तब तलक, जब तलक 

प्रातः काल का प्रभाकर 

आँखें नहीं देता खोल 


और तुलसी के बिरवे को 

सिंचित करने की 

अभिलाषा संजोये

गाँव की नवयौवना 

ग्रामीण पगडंडी पर 

नदी की ओर 

मंथर गति से नहीं चल देती 

एक मदिर, मधुर मुस्कान लिये।




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