ये लोग
ये लोग


जि़स्म का ज़ख्म
बहुत बड़ी बात नहीं
इससे भी बड़ी चोटें
लगा जाते है लोग
रोटी नसीब नहीं
जिन बदनसीबों को
पुड़िया भर ज़हर
खिला जाते है लोग
वेश्या की गलियों का
न देख तू नंगापन
उससे ज्यादा कहीं
नंगई दिखा जाते है लोग
भागते चाँद-तारों से
अँधेरा होता नहीं कभी
होता है, जब जलते दीये
बुझा जाते है लोग
शाम की तन्हाई को
झेला करो अकेले ही
मिलकर और भी
तन्हां बना जाते है लोग
दिल के ज़ख्म
दिखलाओगे किसे अब
ज़ख्मों पर और भी
नमक छिड़क जाते है लोग