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anita rashmi

Abstract

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anita rashmi

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झरना

झरना

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झरने सी हँसी 

या 

हँसी सा निश्छल निर्झर 

गिरता है

नीचे ही नीचे,


और है जब

उठता ऊपर  

खूबसूरती का नया 

छबीला-रंगीला 

वितान टाँग जाता 

मन के 

उदास शैल पर। 


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