ऐ परिंदे कभी नीचे आसमान से आ वक्त हो तो घर मेरे किसी शाम को आ, ऐ परिंदे कभी नीचे आसमान से आ वक्त हो तो घर मेरे किसी शाम को आ,
स्ट्रीट-लाइट के नीचे स्ट्रीट-लाइट के नीचे
बारिश, आ नीचे आज क्या आकाश की अटारी पे जा के बैठा है? बारिश, आ नीचे आज क्या आकाश की अटारी पे जा के बैठा है?
नीचे उतर कर मम्मी से मिलती, मानो कुछ भी ना हुआ हो...और नीचे उतर कर मम्मी से मिलती, मानो कुछ भी ना हुआ हो...और
झरने सी हँसी या हँसी सा निश्छल निर्झर गिरता है नीचे ही नीचे झरने सी हँसी या हँसी सा निश्छल निर्झर गिरता है नीचे ही नीचे
ये ज़िंदगी भी अजब गजब निराली है। सोचो समझो जानो अजब मतवाली है।। ये ज़िंदगी भी अजब गजब निराली है। सोचो समझो जानो अजब मतवाली है।।